दर्शकों की उम्मीदों को Kill नहीं होने देगी ‘मर्सी किलिंग’ – News18 हिंदी

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Telugu movie Mercy Killing Review: तेलुगु सिनेमा में 12 अप्रैल को तीन बड़ी फिल्में-रौद्र रूपाय (Roudra Roopaya), मर्सी किलिंग (Mercy Killing) और नाइट कर्फ्यू (Night Curfew-कन्नड़ में भी) रिलीज हुई हैं, जबकि तमिल में सिर्फ एक बड़ी मूवी-वा पगंडया (Vaa Pagandaya) देखने को मिलेगी. कन्नड़ में स्कैम-1770, मुक्ता मनसु (Muktha Manasu) और अप्पा आई लव यू (Appa I Love You). मलायलम में भी आपको एक बड़ी फिल्म-मारिविलिन गोपुरंगल (Marivillin Gopurangal) देखने का आनंद मिलेगा.

अब बात करते हैं तेलुगु फिल्म मर्सी किलिंग की. इस विषय के बारे में सभी ने बहुत सुना होगा. इसका अर्थ Eu=अच्छी और Thanatos यानी मृत्यु होता है. यूथेनेसिया, इच्छा-मृत्यु या मर्सी किलिंग (दया मृत्यु) एक ज्वलंत विषय है. इस पर दुनियाभर में बहस जारी है, इसलिए इस फिल्म को लेकर भी लोगों में उत्सुकता होना जाहिर सी बात है.

मर्सी किलिंग के लेखक और निर्देशक वेंकट रमना सुरापल्ली हैं. यह एक सोशल-ड्रामा फिल्म है. जिन्हें सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयों में गहरी रुचि है, उनके लिए ही ये फिल्म बनाई गई है. हालांकि, इसमें मनोरंजन का पूरा पुट रखा गया है. लव है, इमोशन है, एक्शन है, थ्रिल है और गुदगुदाने वाले दृश्य भी. फिल्म की मुख्य भूमिका में- पार्वतीसम, वल्लिंगला ऐश्वर्या, बेबी हरिका, साई कुमार, सूर्य भगवानदास, आनंद चक्रपाणि आदि हैं. फिल्म के निर्माता सिद्धार्थ हरियाला और माधवी तलबत्तुला हैं. साईं सिद्धार्थ मूवी मेकर्स के बैनर तले बनी फिल्म का संगीत एमएल राजा ने तैयार किया है. सिनेमेटोग्राफी अमर जे की है.

जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि यह एक गंभीर विषय पर बनी फिल्म है. इसकी कहानी आर्टिकल-21 के इर्द-गिर्द घूमती है, जो हर व्यक्ति को सम्मान के साथ जीने और मरने का हक देता है. हालांकि जहां तक अपनी इच्छा से मरने की बात आती है, तो इसे लेकर भारतीय समाज सहित दुनिया के कई देशों में सहमति नहीं है. भारत में इसे सुसाइड भी कह सकते हैं.

करीब 2 घंटे 11 मिनट की यह फिल्म को लेकर मेकर्स दावा करते हैं कि मर्सी किलिंग का टाइटल काफी दिलचस्प है. फिल्म की प्रोडक्शन वैल्यू को भी बढ़िया बताया गया. फिल्म की शूटिंग हैदराबाद, काकीनाडा, उप्पाडा और अराकू में की गई है. फिल्म में खूबसूरत लोकेशन लुभावनी दिख रही हैं. यानी फिल्म की कहानी को बांधे रखने में इन लोकेशंस का भी बड़ा रोल रहा है. किसी भी फिल्म में लोकेशंस का सही चयन न हो, तो अच्छा-भल सब्जेक्ट बोझिल हो जाता है.

फिल्म की कहानी एक अनाथ लड़की से शुरू होती है, जो अपने लिए न्याय मांग रही है. अभिनेता साई कुमार इस फिल्म को लेकर शुरू से ही उत्साहित रहे हैं. उनके मुताबिक, फिल्म मर्सी किलिंग को सुरपल्ली वेंकटरमण ने अच्छे से निर्देशित किया है. कहानी भी बढ़िया है. साई कुमार अपने किरदार को लेकर भी दावा कर चुके हैं कि उन्हें एक नए अवतार में दर्शकों के सामने आकर खुशी हो रही है. फिल्म मेकर्स का कहना रहा है कि मर्सी किलिंग हर महिला को देखनी चाहिए, क्योंकि इस में समाज में महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को दिखाया गया है.

ऐश्वर्या ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है. हालांकि वे तेलुगु टेलिविजन में किसी परिचय की मोहताज नहीं है. उन्हें दर्शक अच्छे से पहचानते हैं और उनकी अदाकारी से प्रभावित रहे हैं. लेकिन इस बार वे बड़े पर्दे पर कुछ ‘बड़ा’ करने की सोच के साथ अवतरित हुई हैं.

ऐश्वर्या अपनी मासूम मुस्कान के लिए चर्चित रही हैं. मर्सी किलिंग में उन्हें मुस्कान और इमोशन दोनों का बैलेंस करना पड़ा है. फिल्म दर्शकों को मैसेज देती है कि वे अनाथों के साथ परायों से बर्ताव न करें. उन्हें मान-सम्मान और प्यार दें. फिल्म का एक डायलॉग काफी पॉपुलर हुआ है कि ‘एक अनाथ को चोर नहीं कहा जाना चाहिए!’ ऐसे कुछ अन्य डायलॉग भी दर्शकों को खींचते हैं. हालांकि फिल्म का आधार सामाजिक मुद्दा है, लेकिन कई जगह फिल्म हॉरर का आभास देती है. सिनेमेटोग्राफी के नजरिये से यूं लगता है कि फिल्म भूत-प्रेत वाली होगी. फिल्म को बोझिल होने से बचाने हल्की-फुल्की कॉमेडी का तड़का मारा गया है. एरियल शॉट अच्छे बन पड़े हैं. एमएल राजा का म्यूजिक अच्छा फील देता है. कई जगह ये आध्यात्मिक अहसास कराता है. अगर फिल्म के संपादन की बात करें, तो कुछ जगह छोड़कर यह कसी हुई नजर आती है.

‘मर्सी किलिंग’ शब्द अपने आप में एक भारी और धीर-गंभीर शब्द है, लेकिन इस फिल्म के जरिये इसे प्रभावी ढंग से उठाया गया है. ज्यादातर कलाकारों ने अपना काम बखूबी निभाया है. खासकर, महिला किरदार ठीक से उभरकर सामने आए हैं. यह एक पारिवारिक फिल्म है, जिसे साथ में बैठकर देखा जा सकता है. कह सकते हैं कि एक संवेदनशील मुद्दे पर एक ठीक-ठाक फिल्म बन गई है. जिसे एक बार देखा जा सकता है.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

Tags: Film review, South cinema



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